कुछ खुली पंक्क्तियाँ......................

( १) हर चीज़ सो़च समझ कर करना
जीवन का सफ़र है अपना
अगर गलती भी करो तो इस फक्र से
की अंजाम देख कर सीना तना रहे सब्र से............

(२) नाव को देख कर बैठोगे
तो खतरा जान को होगा
और जो मांझी को देख कर बैठोगो
तो खतरा दिल को होगा
अब फैसला तुम्हारा है
की कौन सा खतरा लेना
तुम्हे प्यारा है ...............

(३) मोहब्बत भी एक ताबूत से अधिक कुछ नहीं
ताबूत बेशक चन्दन की लकडी का ही क्यों न हो
पर दफ़न उसमे लाश ही होती है.....................

(४) हम कल भी चुप थे
हम आज भी चुप है
और हम आगे भी
चुप ही रहेंगे
जरा हम तो देखे
वो हमसे चुप रहने की
होड़ कब तक करेंगे ...................

(५) में ये कहता था
की तुम मेरी हो
तुम ये जताती थी
की तुम किसी और की हो
पर अब ये जमाना कह रहा है
की हम एक दुसरे के है................

(६) यूँ तो ढहाई अक्षर भी पुरे नहीं
इस प्यार शब्द में
मगर जिन्दगी भी पड़ जाती है छोटी
इसे गुजारने में......................

(७) घर की मोख में से झाँक कर
वो मुझे देखते है
रेत पर मेरा नाम बार बार लिखकर मिटो देते है
मोहल्ले के बच्चों से वो हाल मेरा रोज़ पूछते है
या खुदा अब तू ही बता की ऐसी करतूत वो क्यों करते है ............. रवि कवि

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