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Showing posts from June, 2010

राजा कौन और जनता मौन ............................

आओ मिलके अब उठे सब देश देता है पुकार अब नहीं तो फिर कब उठोगे गद्दारों ने दी है ललकार बैठे है सत्ता की गद्दी पे भ्रस्ट, पापी और मक्कार यह नहीं सुधरेंगे ऐसे गर रहेंगे हम लोग ऐसे ही चुप चाप देश की अस्मिता दावं पर है भुकमरी बेरोज़गारी और मंहगाई सब दिनोदिन बढ़ रहे है गद्दार नेता देश को खोखला कर रहे है घोटाले करने वालेमौज और इमानदार लोग घुट घुट मर रहे है विकास के नाम पर विनाश लीला चल रही है 'राजा कौन और जनता मौन गर ऐसे ही सब चलता रहेगा तो देश कब तक ऐसे चलेगा फिर भी रहे खामोश तो इतिहास हमें कभीमाफ़ नहीं करेगा ................ रवि कवि

भारत निर्माण जारी है .................

गरीबी मिटाने का वादा षड़यंत्र गरीब हटाओ चल रहा है खेलों के नाम पर गरीबों का खून पसीना लुट रहा है मंहगाई बढती ही जाये इसका पूरा इन्तेजाम परदे के पीछे से चल रहा है कृषि से ज्यादा क्रिकेट का ध्यान सरकार को रह रहा है जो जिस पद पर है वोह उस पद पर सिर्फ नाम के लिए बैठा है सचमुच हिंदुस्तान में लोकतंत्र के नाम पर फेमिली सर्कस चल रहा है जिसमे जनता बन्दर है या भालू है और तमाशा ऐ सरकार जारी है .......... जारी है ............ जारी है........... और आम आदमी की जिन्दगी का रोना भी सिर्फ एक खेल बन गया है सुनते है देश में अनाज के साथ साथ जनता में एकता का भी टोटा पड़ गया है इसीलिए सरकार निश्चिन्त होकर चल रही है और आम आदमी को निचोड़ कर भारत निर्माण कर रही है................................... रवि कवि