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Showing posts from August, 2010

ओ मेरे कृष्ण मोहन

मेरी प्रेम की तपस्या मुझे मीरा बना दे मुझे कबीरा बना दे मुझे कृष्ण की राधा बना दे मेरी तड़प को उसकी लगन बना दे जो सिर्फ उस प्रीतम प्यारे कि ओर मुझे ले जाये जिसने शरीर दिया धड़कन दी ये पहचान दी बस मुझे उस बलिहारी का दास बना दे ऐसा मुझे अपने कृष्ण का दीवाना बना दे ओ मेरे कृष्ण मोहन मुझे अपना बना ले ......................... रवि कवि

मोहब्बत नज़र आती है ......

वो क्या समझे दिल की लगी जिसे न हुई हो मोहब्ब्बत कभी ये ऐसी आग है जिगर की जो जितनी जले उतना ही असर दिखाती है जिन्दगी क्या है सचमुच यह बात समझ आती है बेकरारी इस तरह छाती है दिन न रात कोई फिर सिर्फ सिर्फ सिर्फ और सिर्फ मोहब्बत नज़र आती है जिन्दगी फिर इस तरह मुस्कुराती है गुनगुनाती है मानो................ जैसे रिमझिम बहार में मोरनी नाचती है ऐ मोहब्बत ................. तू किस कदर खूबसूरत है ये मोहबत हो जाये तो बात समझ आती है ........................... रवि कवि

आज के देश की तस्वीर............................

रंग भी है आतंकवादी रास्ट्र धर्म की बात करने वाले भी आतंकी पर देश तोड़ने वाले मानवता के न्रशंश हत्यारे जो बैठे है हमारी जेलों में मेहमान बनके उनको कोई सजा नहीं, बल्कि पनाह मिलती है चंद वोटो के लालच में अपनी अस्मिता को ही पलीता लगाना भी जिन्हें मंजूर है ऐसे मेरे नेता आज के देश की तस्वीर है ................... रवि कवि

आज के भारत का निर्माण ....

एक तरफ मौनी राजा का राज दूसरी और एक युवराज का काज समझ नहीं आ रहा यह कौन सा घाल मेल हो रहा है राजा या युवराज कौन देश चला रहा है गरीब किसान घुट रहा है आत्महत्या कर रहा है हर तरफ महगाई, भ्र्रस्त्ताचार, आतंकवाद शांति जिसके आगे पड़ी है लाचार गरीबो किसानो आदिवासिओं को दे देकर आश्वासन का प्रसाद अल्पसंख्यको को डरा डरा के अपने वोटो को साधने का प्रयास आखिर किस ओर जा रहा है मेरा ये हिंदुस्तान खामोश खामोश खामोश ....................... सुना है अमीरों के आगे नतमस्तक है हर नेता हर सरकार ये ही है आज के भारत का निर्माण ........... रवि कवि .......................

भारत निर्माण............

जिस धरती को किसान अपना खून पसीना देता था जीने के लिए लोगो को भरपूर अन्न देता था सुना है आजकल लूट कर उसकी धरती उद्योगों को दे दी जाती है न माने तो उस धरती पर उसकी लाश बिछा दी जाती है खेत खलियान तो पहले ही शहरीकरण के चलते अपना अस्तित्व खो चुके है पर अब गाँव को वीरान करने की साज़िश का खेल भी चल पड़ा है वाह रे मेरे हिंदुस्तान क्या येही भारत निर्माण हो रहा है ???? ............. रवि कवि

हमारा हिंद महान .....

ऐ देश तेरे इतिहास को प्रणाम वीरों ने दिए तुझ पर बारम्बार नौछावर प्राण तेरी आन बान और शान को सलाम जिसके आगे झुके क्या सिंकंदर क्या मुग़ल क्या गोरे बदनाम हम भी तेरे सम्मान को नहीं होने देंगे कभी कुर्बान तू है मेरा जहान जिस पे नाज़ है हम सबको ऐसा है हमारा हिंद महान .............................. रवि कवि