Posts

Showing posts from 2019

वैचारिक महामारी का आपातकाल

सुना है आजकल वैचारिक महामारी का अघोषित आपातकाल लागू हुआ है जो सीधा हर दिलो - दिमाग को अपनी गिरफ्त में ले रहा है जिसके असर से अब शहर में हर कोई शह और मात का खेल खेल रहा है जो चाय की दूकान पर साथ बैठकर चाय पिया करता था जो अख़बार का एक पेज  मेरे हाथ में और दूसरा पेज उसके हाथ में हुआ करता था आज वही नफ़रत के लिबास को ओढ़ कर घर से निकलता है चाय या अखबार नहीं अब उसे पत्थर प्रिय लगते है जो पत्थर घर बना सकते है या रास्ते अब उन्ही पत्थर से उजाड़ने की इबारत लिखी जाती है उसे शायद किसी ऐसी ही वैचरिक महामारी ने घेर लिया है ये वो महामारी है जिसमें दिमाग भावना शून्य हो जाता है और फिर भाव शून्य मन और शरीर एक रोबोट की तरह काम में लग जाता है जिसे ना खून का रंग पता है ना संबंधों का वो तो महज रोबोट बन अपने स्वार्थी आकाओं के कहने पर  बस कहीं भी कहीं पर भी बिफर  या कहे फट पड़ता है और देखते देखते - आँखों के सामने ही बेगुनाहों की जिन्दगी और उनका घर बार सब इस वैचारिक महामारी की चपेट में खामोश हो जाता है पर फर्क कोई किसी को नहीं पड़ता क्यूंकि आजकल लगभग हर कोई किसी ना किसी वैचारिक महाम