सज गयी है महफ़िल
सज गयी है महफ़िल यार का दीदार होने को है बहुत रही पिछली जिन्दगी ग़ुरबत में अब मेहरबानी का सुरूर चढ़ने को है आ मिटा ले जिन्दगी से जिन्दगी की सब खताएँ , सब शिकवे हुस्न की बारिश और मुहब्बत का नशा अब यूँ ही रहे जिन्दगी भर साथ चलते चलते ... जिन्दगी भर .... बस यूँ ही ... हमेशा हमेशा ............. रवि कवि