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Showing posts from November, 2010

तुझे छूना चाहता हूँ

मैं तुझे छूना चाहता हूँ तेरा अहसास पाना चाहता हूँ चुमते हुए तेरे ठन्डे माथे को शरारती आँखों के रास्ते दिल की गहराइयों में प्रेम के गोते लगाते हुए तेरे हुस्न की तपिश में जल जाना चाहता हूँ जानना चाहता हूँ समझना चाहता हूँ मैं अपने दिल के अरमान तुझ में बयां कर देना चाहता हूँ तुझे इस तरह पाना चाहता हूँ कि तुझ में समां जाना चाहता हूँ .............. रवि कवि

प्रेम रंग से तर बतर हो गया है

कुछ इतने करीब सिर्फ हम तुम नहीं रिश्ते भी हो गए दोनों जहाँ दो से एक हो गए कोई फासला नहीं दरम्यान अब तेरे मेरे जिन्दगी का एक एक रंग तेरी मेरी साँसों में घुल कर प्रेम रंग से तर बतर हो गया है तू और मैं हम और यह हम नयी नीव की तरफ बढ़ चला है ............ रवि कवि

मंगल मंगल सब रहे सदा

दियें जलाये, उत्सव मनाये दिवाली है आई प्रेम और ख़ुशी के साथ नयी उमंग नयी उर्जा संग है लायी बरसती रहेगी सर्वदा माँ लक्ष्मी की कृपा सन्देश है ये लायी मंगल मंगल सब रहे सदा है आज दिवाली कहने आई ..................... रवि कवि