Posts

Showing posts from September, 2010

मंदिर और मस्जिद के दीवाने

मेरे मन का भगवान तेरे मन का अल्लाह एक दुसरे से कह रहे है आज कि मंदिर और मस्जिद के दीवाने सिर्फ कर रहे है अपनी अपनी बात मन में करके खड़ी दीवार कैसे बचेगी ये अपनी खुबसूरत कायनात नफरत और द्वेष के आगे सिर्फ और सिर्फ बंटवारा मिलता है श्रद्धा नहीं त्रासदी को बल मिलता है और आज का इंसान इसी को धर्म या मजहब समझता है कैसे समझाए इसे क्या करे ऐसा जिन्दगी का मर्म कतई नहीं है जुदा धर्म और जुदा इंसानियत का होना ......................... रवि कवि
सडको पर बीत रही है जिन्दगी महानगरीय लोगो की चोंकिये मत जनाब मैं बात कर रहा हूँ ट्रेफिक जाम में फसने वाले आम लोगो की दिल्ली की तस्वीर तो बदल गयी दावा है सरकारी इश्तहारो का सचमुच बदल गयी है दिल्ली सही है ये दावे !!!!!!!!!!!!!!!!!!!!! क्योंकि सब कुछ बदल गया है आदमी घर और दफ्तर से ज्यादा सड़क पर समय बिता रहा है महानगर में रहता है शायद इसकी सजा पा रहा है ............... रवि कवि

चलते रहो बस चलते रहो.......

कभी जिन्दगी कुछ उलझनों और कुछ शरारतों के बीच चलता हुआ कोई तूफान है कभी जिन्दगी धडकनों और लम्हों के बीच दौड़ती फिरती मुस्कान है कभी जिन्दगी तेरी या कभी मेरी रोज़ रोज़ बदलने वाली पहचान है और येही पहचान जिन्दगी की कहानी है जी ले इसे जैसी भी है जिन्दगी बस चलते रहने का नाम है चलते रहो बस चलते रहो.............................रवि कवि

चलते रहो बस चलते रहो.......

कभी जिन्दगी कुछ उलझनों और कुछ शरारतों के बीच चलता हुआ कोई तूफान है कभी जिन्दगी धडकनों और लम्हों के बीच दौड़ती फिरती मुस्कान है कभी जिन्दगी तेरी या कभी मेरी रोज़ रोज़ बदलने वाली पहचान है और येही पहचान जिन्दगी की कहानी है जी ले इसे जैसी भी है जिन्दगी बस चलते रहने का नाम है चलते रहो बस चलते रहो.............................रवि कवि

काश ऐसा ही हो

मेरा बचपन उजड़ा है कोई जिम्मेदार में बना दी गयी बेसहारा लाचार किसे कहूँ कसूरवार में भी खिलोनों से खेलना चाहती थी पर कर दिया मुझे खिलने से पहले ही शर्मसार क्या कभी मेरा बचपन अब लौट पायेगा ? खुल कर जीने का अधिकार मिल पायेगा ? काश !!!! ये सब मेरा कोई बुरा सपना ho में नींद से जागूं, तो दुनिया में हर कोई मेरा अपना हो !!!!!!!!!!!!! काश ऐसा ही हो काश ऐसा ही हो ....................रवि कवि