Posts

Showing posts from 2008

शीर्षक : मतलब की नाव

शीर्षक : मतलब की नाव जीवन के इस दौर में सब पर आपाधापी छाई हैं दौड़ लगी है बेसुध - अंतहीन इच्छाओं की भरी पिटारी है न चिंता है देश समाज जनहित की बस अपनी ही सुध में पलते हैं हमदर्द, हमराह, हम ख़याल अब अकेले पड़े है तन्हाई में लूट संस्कृति का चालान जोरों पर है मर्यादा की खाल पल पल नुच रही हैं निज स्वार्थ निज लाभ बस इतना ही आंखो में समाता है सुबिधाओं का अम्बार लगाना हर कोई चाहता हैं दिल में भी नही घर में भी नही ख्यालों में भी नही अब किसी के लिए किसी के पास जगह नही मतलब की नाव पर हर कोई सवार हो रखा है और मतलब पुरा होते ही कौन है आप? किसे याद रहता है बड़ी विचित्र हवा चल रही है अब इस अंधी दुनिया में हाय पैसा ! बस पैसा ! की चल रही महामारी हैं रिश्तों की अब किसे जरुरत न ही दोस्त चाहिए अब ख़ुद का सुख ही सर्वस्व है अब इतने में सिमट रही अब दुनिया सारी हैं शान्ति समर्पण और तपस्या सब मौन पड़े है झूठ और हिंसा इस युग के नए नारे है इश्वर को भी चन्दा देकर खरीदने का ढोंग हो रहा है हर और मीनार ऊँची करने में बस लगा हुआ है आज के युग का हर प्रानी धरम सत्य और अहिंसा सब बेमानी है इस दौर में जीवन तो कठिन नही रहा

शीर्षक : ईश्वर से कैसे बच पाओगे?

शीर्षक : ईश्वर से कैसे बच पाओगे? मेरा अस्तित्व क्या होगा यह अधिकार तुम्हारा नही है मुझे जन्मने से वंचित रखना यह कृत्य उचित नही है मे जननी हूँ धरा की, मेरे भ्रूण का नाश करना यकीनन एक राक्छ्सी वृति है कोख मिटाना नारी की दुर्भाग्य की परिणिति है और नारी ही जब नारी की मृत्तुदाता बन जाए इससे घिनौना कुछ कर्म नही है मुझे मारने वालों कभी क्या तुमने यह सोचा है की जिसका अस्तित्व मिटाने चले हो उसने हे तुमको अपने खून से सींचा है अरे झूट का पुण्य कमाने वालों गंगा में व्यर्थ नहाने वालों भला नही होगा चाहे कुछ भी कर डालो जो मारते है बेटी को अपनी वों सिर्फ़ नरक योनी में जाते है नीच से ज्यादा कुछ और नही हो सकते यह कोख के हत्यारे है......... ले डूबेगा यह पाप तुम्हे एक दिन मोक्ष्य नही मिल पायेगा बेटी की भ्रूण हत्या करने वालो बेशक बच जाओ तुम दुनिया की नज़रों से लेकिन अपनी नज़रों में कभी नही उठ पाओगे जीवन छीन के जीने वों ईश्वर से कैसे बच पाओगे? (रचनाकार : रवि कवि)

नही छोडेंगे हम धुम्रपान कभी

शीर्षक : नही छोडेंगे हम धुम्रपान कभी फूंकने का कर्तव्य है हमारा और सहना धरम है तुम्हारा कहीं भी कभी भी किसी भी हाल में तलब मिटाना हमको खूब भाता है बच्चें हों, बुजुर्ग हों, बीमार हों या भीड़ हों बेशक पर्यावरण का कितना भी सर्वनाश हों अरे भाई पढे लिखे है हम बहुत यह विज्ञापन और प्रतिबन्ध भला हमको कोई रोक पाएंगे जान लीजिये यह जरुरी बात की धुम्रपान उतना ही जरुरी है हम लोगों के लिए जितना शरीर में आत्मा का होना जरुरी है यूं भी यह कोई इतनी बुरी चीज़ नही शान औ शौकत के अंदाज़ हैं बड़े बड़े लोग करते है या यूं कहिये जो करते है वो ही बड़े हों जाते है क्या अदा किस मस्ती से और जूनून का पुरा लुत्फ़ उठाते है चिंता हों या कैसा भी दर्द हर चीज़ में बड़ा सहारा मिलता है वैसे भी जवानी का मतलब ? ब ड़े हों गए है अब आजाद परिंदे हैं सिगरेट के हर कश से नई नई कल्प्नाओ को ऊँची उड़ान मिलती है रोब और ताकत का सर्वोत्तम विकल्प है ये अब आप चाहे कितनी भी बड़ी बिमरिओं का वास्ता दे लीजिये डरा लीजिये, समझा लीजिये कानून पर कानून खूब बना लीजिये परन्तु इतना हमारा भी सुन लीजिये की धुम्रपान बेहद जरुरी है चाहे हमको आप कितना भी ख़ुद म

नही छोडेंगे हम धुम्रपान कभी

शीर्षक : नही छोडेंगे हम धुम्रपान कभी फूंकने का कर्तव्य है हमारा और सहना धरम है तुम्हारा कहीं भी कभी भी किसी भी हाल में तलब मिटाना हमको खूब भाता है बच्चें हों, बुजुर्ग हों, बीमार हों या भीड़ हों बेशक पर्यावरण का कितना भी सर्वनाश हों अरे भाई पढे लिखे है हम बहुत यह विज्ञापन और प्रतिबन्ध भला हमको कोई रोक पाएंगे जान लीजिये यह जरुरी बात की धुम्रपान उतना ही जरुरी है हम लोगों के लिए जितना शरीर में आत्मा का होना जरुरी है यूं भी यह कोई इतनी बुरी चीज़ नही शान औ शौकत के अंदाज़ हैं बड़े बड़े लोग करते है या यूं कहिये जो करते है वो ही बड़े हों जाते है क्या अदा किस मस्ती से और जूनून का पुरा लुत्फ़ उठाते है चिंता हों या कैसा भी दर्द हर चीज़ में बड़ा सहारा मिलता है वैसे भी जवानी का मतलब ? बड़े हों गए है अब आजाद परिंदे हैं सिगरेट के हर कश से नई नई कल्प्नाओ को ऊँची उड़ान मिलती है रोब और ताकत का सर्वोत्तम विकल्प है ये अब आप चाहे कितनी भी बड़ी बिमरिओं का वास्ता दे लीजिये डरा लीजिये, समझा लीजिये कानून पर कानून खूब बना लीजिये परन्तु इतना हमारा भी सुन लीजिये की धुम्रपान बेहद जरुरी है चाहे हमको आप कितना भी ख़ुद म