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Showing posts from 2011

तेरा मनमोहन करे पुकार..............................

सोनिया जी आ जाओ एक बार तेरा मनमोहन करे पुकार यहाँ दुविधा खड़ी अपार नहीं जमता कोई विचार बस आ जाओ जल्दी कर स्वास्थ सुधार ना सुबह बची ना रात मचा चारों और हाहाकार मेरे मंत्री निकले सब बेकार नहीं लगा पाए नय्या पार बस अब आप ही पर टिका है मेरा विश्वास जो कर सकती हो बेडापार सोनिया जी आ जाओ एक बार तेरा मनमोहन करे पुकार.............................. Ravi Kavi

इन इरादों को बदलने का तू सोच मत...

इन इरादों को बदलने का तू सोच मत नाव है तूफ़ान में, अफवाह पर यकीं मत कर ये दौर परिवर्तन को देखने को मचल रहा है जब तू अब ऐसे में कानून का - वक़्त का इंतज़ार मत कर देर तो पहले ही बहुत हो चुकी है अब और हुई तो क्रांति की चिंगारी का फिर सामना तू कर लेकिन सदियाँ तेरे नाम को बदनाम करें ऐसा कुछ ना हो वैसा प्रयास कर तू कर सकता है तू बदल सकता है मौका है केवल लोकतंत्र का ही नहीं तू दिलों का राजा बन सकता है बदल ले बदल ले आज हिंदुस्तान तुझमे हिंदुस्तान की आस्था का संबल देख रहा है .......रवि कवि

मेरी मजबूरी है

हमारा राजा .. राजा तो है मगर उसे कुछ नहीं मालूम होता बस हर घटना के बाद मासूमियत भरा चेहरा सजा के कुछ नहीं मालूम था मुझे या मेरी मजबूरी है रटा रटाया गाना सुना देता है अरे ... येस मैडम ... येस मैडम सिर्फ एक शब्द ही जिसकी डिक्सनरी में शुरू से लेकर आखिर तक छपा है वोह राजा काहे का राजा है लेकिन .... सच यह है कि कोई उसे बुरी तरह यूज कर रहा है और जानता तो वोह भी है सब कुछ कि गुनाह तो है जो वोह कर रहा है ...........रवि कवि

दो साल का रिचार्ज (बहुमत) बाकि है

कभी मजहब के नाम पर वोट की कमाई कभी मजहब की करके दुहाई बंटवारे की करना बुबाई क्या इन सबको ही करना सरकार समझती है देश की भलाई तो लानत है धिक्कार है शहीदों के खून का तिरस्कार है मगर अभी दो साल का रिचार्ज (बहुमत) बाकि है मेरे दोस्त इसलिए इनको कुछ भी कहना सुनना बेकार है ................ रवि कवि

भूख से बड़ी तेरे माँ बाप की उम्मीद है......

रात भर बच्चा भूख से रोता बिलखता रहा माँ बाप दिलासे से उसको समझाते रहे की बेटा रात कट जाने दे सुबह को आने दे कुछ बात जरुर बन जाएगी बस तू तब तक सब्र कर जानता हूँ की भूख असहनीय दर्द है मगर अभी तेरे माँ बाप के पास कुछ नहीं ये भी सच है उम्मीद के सहारे हम जिन्दा है और तू ही तो हमारी उम्मीद है चुप हो जा बेटा तेरी भूख से बड़ी तेरे माँ बाप की उम्मीद है.................. रवि कवि

तुझ संग प्रीत लगाईं है ..

दिल ही दिल में बात चली है साँसों ने ली अंगड़ाई है सागर कि लहरों सी तू शायद मुझ में ही कहीं समाई है पहनेगी तू कभी मेरी ही बाँहों का हार येही मुराद लेके मन में तुझ संग प्रीत लगाईं है .............. रवि कवि

आज वक़्त कितना बदल गया है अब...........

धमाके जो पहले रोंगटे खड़े देते थे दहशत से सारा माहौल भर देते थे क्या व्यबस्था क्या जनता सब के सब एक साथ खड़े होकर उस नाजुक वक़्त को संभाल लेते थे दर्द में हमदर्द हुआ करते थे पर आज वक़्त कितना बदल गया है अब अब व्यबस्था धमाको के साथ जीने की आदत डाल लेने का मंत्र सिखा रही है और जनता भी हर धमको के बाद केंडल मार्च लेके निकल पड़ती है सबकी जिम्मेवारी पूरी हो गयी और धमाके की कहानी खतम जिन्दगी जैसी थी फिर शुरू हो गयी............. रवि कवि

गरीबी ख़तम नहीं होती नारों से...................

गरीबी ख़तम नहीं होती नारों से मंहगाई नहीं रूकती कभी दावों से आतंक नहीं मिटता सिर्फ दिखावे से भय नहीं जाता कमजोर इरादों से भूख नहीं शांत होती जी डी पी के बढ़ने से और किसान नहीं मरने कम होते सिर्फ क़र्ज़ माफ़ करने से कदापि भारत निर्माण नहीं हो सकता टी वी रेडिओं में विज्ञापन से जख्म नहीं भर जाते सिर्फ आम आदमी के नाम पर वादों से मंत्री बदलने से व्यवस्था भला कहा बदलती है अरे जिस मुल्क का राजा भीष्म कि तरह भारत के चीत्कार को देखता रहे और कहे मेरी मजबूरी है उस देश कि प्रजा को कोई भी आस रहे ... तो समझना ये खुद को खुद की झूटी तसल्ली है ..................... रवि कवि

आओ चले फिर गाँव की ओर.................

आओ चले फिर गाँव की ओर और जाने गाँव के लोगो के दर्द लगाये मरहम उनके घाव पर जो लगे है अंधाधुंध शेहरीकरण के नाम से उपजाऊ भूमि जो लूटी जा रही है चंद हरे नोटों के दाम पर और बनाये जा रहे है महल - मॉल अमीरों की शान पर ............ रवि कवि

अरे औ कालिया कितने बेईमान जेल में गए.......

अरे औ कालिया कितने बेईमान जेल में गए....... सरदार तीन..... राजा, कलमाड़ी और कनिमोझी अरे देश में इतने बड़े घोटाले हुए और जेल में गए बस तीन बहुत नाइंसाफी है बहुत नाइंसाफी है सजा मिलेगी जरुर मिलेगी सबको मगर सरदार कैसे ? अरे इलेक्सन तो हर पांच साल में आता है लेकिन जनता का खोया विश्वास बार बार नहीं आता है अरे मैंने तो बस एक रामपुर पर ही जुल्म किये तो मेरा अंत हो गया लेकिन यहाँ तो पुरे देश को ही दीमक लगा है पर जिन लोगो ने ये सब kiya है उनका हश्र कितना बुरा होगा ये सोचकर तो में - गब्बर भी डर गया है पर एक काम अच्छा हुआ है की अब माँ अपने बच्चे को मेरे नाम नहीं बल्कि ये कहकर डराएगी की बेटा चुप हो जा वर्ना इस घर में भी कोई बच्चा रहता है इस khabar के milte ही tere doodh को भी yeh sarkar pi जाएगी ................... रवि कवी

हम युहीं अलख जगायेंगे.....

सत्ताई चेहरों को खौफ खाने लगा है खुद और खुद के राजनितिक व्यापार में पड़े न कोई खलल इसलिए दमन का हथियार चला रखा है गर डराने धमकाने से भी जो बने मन चाही बात तो आपातकाल का हौबा भी दिखाया जा रहा है अरे जिन्हें आदत हो गरीबो का लहू पीने की जिन्हें आदत हो तुष्टिकरण पर चलने कि जो सिर्फ मनमानी करने को ही बहुमत का स्वांग रचते हो अरे इनके दरबार में जनता कि क्या बशर जहाँ राजा भी हाथ बांधे सिर्फ हुकुम बजाते हो लोकतंत्र का ये क्या मान सम्मान करेंगे जो आतंकियों पे अहसान और महिलाओ बच्चों समेत निरपराध निहत्थे लोगो को पिटवाते हो काली कमाई से देश को लूटने वाले ये गद्दार आखिर कब तक खैर मनाएंगे सिर्फ राजा , कलमाड़ी, कनिमोझी ही नहीं जब तक एक एक गद्दार बाकी है सत्ता में हमे सौगंध है अपनी मातृभूमि की हम युहीं अलख जगायेंगे.................................... रवि कवि

हम हौसन्ला खोएंगे नहीं

डराओ तुम जब तक डरा सकते हो पर हम हौसन्ला खोएंगे नहीं डंडे मारो गोली मारो या भर दो तुम जेल में अब कोई भी तुम्हारा जतन हमे रोक सकता नहीं भारत निर्माण का गाना सुना कर देश को लूटने वालों अब जनता का रौद्र रूप ही तुम्हे तुम्हारी अंतिम गति तक ले जायेगा

सरपरस्ती देने वाले ही यहाँ लूट लेते है....................

सुना था कि अहंकार में डूबे मानव का शीघ्रपतन हो जाता है सत्तासीन नशे में डूबे नेताओ को भी भला कोई ये मर्म समझा पाया है जीतकर वादों के नाम पर फिर सब भूल जाना जिनकी आदत बन जाता है जिन्हें फिर करप्सन नहीं बेरोजगारी नहीं भूख नहीं अपराध नहीं सिर्फ सत्ता का मद रह जाता है अरे भाई ये लोकतंत्र है सरपरस्ती देने वाले ही यहाँ लूट लेते है सबको आज़ादी है ऐसा है इसका मतलब अक्सर सुनते है फिर काहे को ये जनता इतनी शिकायत रखती है खामोश रहिये और आप भी बन जाये नेता रात दिन बस येही प्रार्थना करिए ..................रवि कवि

हो रहा भारत बर्बाद..............

टूटा हुआ है ये दिल नादान नहीं मिला अब तक स्वाभिमान धोखो कि जो राह मिली उसने तोड़ दिए सब अरमान चीर दिया मानव सम्मान खो रहा भारत अभिमान हो रहा भारत बर्बाद कपट चाल से देश भ्रमित है सच का सीना लहुरंजित है बहुमत कि अंधी पट्टी का गुरुर कर रहा है देश का अपमान बढ़ रहा घोर अपराध खो रहा भारत अभिमान हो रहा भारत बर्बाद जनता में है हाहाकार पर ख़ामोशी के है सब शिकार जनमत के नाम पर लूटना छला है जनता का विश्वास बेशरमी कि सब पार कर हदें इसे नाम दिया भारत निर्माण ......... रवि कवि

जिंदगी तुझसे मुलाकात हुई

जिंदगी तुझसे मुलाकात हुई जाने फिर कैसी कैसी दिल में बसी बात हुई हम समझते थे कि हम जिन्दा है पर आज अहसास हुआ जिन्दगी का मतलब क्या है थोडा थोडा ही सही दिल को ये आराम तो है कि जिंदगी का पता अब मेरे साथ साथ हमसफ़र है .......... रवि कवि

बाबा हजारे की तपस्या व्यर्थ न होगी....

निश्चित ही आज विलासिता का युग है अपनी अपनी दुनिया में लोग मस्त है पर यह न समझो ये आज के युग की कमजोरी है जाग रही प्रजा बेशक धीरे धीरे ही सही पर शुरुआत हो चुकी है यह खुश फ़हमी अब दूर करनी होगी ये बात सत्ता को समझनी होगी जनतंत्र में प्रजा ही राजा है वक़्त रहते संभल जाओ तो अच्छा है वर्ना फिर से क्रांति होगी बाबा हजारे की तपस्या व्यर्थ न होगी..................... रवि कवि

समझोगी कब तुम मेरे प्रेम कि भाषा...

दिल यह मेरा तुमसे है कह रहा समझोगी कब तुम मेरे प्रेम कि भाषा पल पल हर दिन रात हो या दिन बस तुम ही हो मेरे नैनो की आशा देख देख जिसे चोरी चोरी - छिप छिप तकता मैं तेरी चांदनी रूपी काया कहता नहीं में कुछ भी जुबां से पर तुम ही हो मेरा साया ख़ामोशी से आगे कब अब जाएगी मेरी यह अभिलाषा तुम से शुरू और तुम तक जाती है मेरे साँसों की माला दिल यह मेरा तुमसे है कह रहा समझोगी कब तुम मेरे प्रेम कि भाषा.................. रवि कवि