प्रेम कि अद्दभुत लीला ................

प्रेम कि अद्दभुत लीला देखो
कोई करता है कोई डरता है
प्रेम कि अजब तस्वीर देखो
कोई दीखता है कोई छिपता है

प्रेम का निर्गुण रूप देखो
कोई लड़ता है कोई सहता है
प्रेमियिओं कि प्रेम भक्ति देखो
कोई छलता है कोई अपनाता है

करते है बड़े बड़े तप प्रेमी
कोई रिझता है कोई रिझाता है
ये प्रेम बड़े बड़े खेल खेले
लुक छिप दुनिया से करवाता है

ना सोचता है न सुनता है
दिल ही दिल में रहता है
बन प्रेम नगर का राजा ये
खोजे प्रेम नगर कि रानी को

खाए कसमे सभी
तोडे रस्मे सभी
कोई नियम कायदा
यहाँ नहीं चलता है

बस प्रेम करो चाहे जैसे भी करो
चाहे खुल के करो चाहे छिप के करो
कभी खाओ धोखा, कभी दो धोखा
बड़ा अजब ये प्रेम का फ़साना है

पर जो भी हो ये प्रेम
एक नायाब कारनामा है
जिसे करने को
हर दिल चाहता करना चाहता है .............. रवि कवि

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