मेरा रब अब तू ही.........
तेरे काँधे पे सर रख कर
मुझे लगता है कुछ ऐसे
कि जीवन हो जाये पूरा
इसी अंदाज़ में जीते
ना मेरा है कोई अपना
ना मेरा है कोई सपना
में बैठी बस रहू हर पल
तेरे ही आगोश में ऐसे
ना दुनिया कि जरुरत है
ना मुझको कोई डर है
मेरे महबूब कि बांहों का घर
ही अब मेरी जन्नत है
मेरा नसीब भी तू है
मेरा संसार भी तू है
मेरे सुख दुःख कि दुनिया का
तुही हमराह अब इक है
साँसों को नहीं परवाह
मेरे दिल के धड़कने कि
मेरे जब साथ तू है तो
तू ही धड़कन है अब मेरी
उमरियाँ बीत जाये बस
तेरे साए में यूँ ही अब
में मांगू और क्या रब से
मेरा अब रब भी है तू ही ............. रवि कवि
मुझे लगता है कुछ ऐसे
कि जीवन हो जाये पूरा
इसी अंदाज़ में जीते
ना मेरा है कोई अपना
ना मेरा है कोई सपना
में बैठी बस रहू हर पल
तेरे ही आगोश में ऐसे
ना दुनिया कि जरुरत है
ना मुझको कोई डर है
मेरे महबूब कि बांहों का घर
ही अब मेरी जन्नत है
मेरा नसीब भी तू है
मेरा संसार भी तू है
मेरे सुख दुःख कि दुनिया का
तुही हमराह अब इक है
साँसों को नहीं परवाह
मेरे दिल के धड़कने कि
मेरे जब साथ तू है तो
तू ही धड़कन है अब मेरी
उमरियाँ बीत जाये बस
तेरे साए में यूँ ही अब
में मांगू और क्या रब से
मेरा अब रब भी है तू ही ............. रवि कवि
Comments