येही जीवन की भक्ति है.......................

किससे लडू, किससे शिकायत करूँ
सब तो अपने है
हर किसी से कुछ न कुछ हमारे रिश्ते है
कोई खून का सम्बन्धी है, कोई दोस्त,
कोई पडोसी, कोई कुछ पल का हमराही
सब हमसे जुड़े हुए लोग ही तो है
शायद उसकी कोई मज़बूरी ही रही होगी
जो वो गिरगिट की तरह बदल गया
कुछ फायेदे के लिए रिश्तों को कुतर गया
तो क्या हो गया ?
उसको ख़ुशी मिली, तरक्की मिली
चलो किसी का फायेदा हुआ
बेशक वो में नहीं था
मगर जिसे भी हुआ वो मेरा अपना था
और इतना ही काफी है ख़ुशी मनाने के लिए
वैसे भी इस दौड़ती भागती जिन्दगी में
किसी के पास फुर्सत के पल ही कहाँ होते है
बाजारी युग है, तो जो भी पल है सब पहले से ही
पैसे के लिए बिके होते है
सोचने समझने और रिश्तों को निभाने की
बेबकूफी ऐसे में भला कौन करना चाहेगा
जो जरा सा कुछ बन जाता है
ताकत पा लेता है
समझो खुदा ही बन जाता है
देता भी नहीं और भिखारी भी बना देता है
सुना था वक़्त भागता है तेजी से
पर इस युग का आदमी वक़्त से कही ज्यादा
तेजी से भागता दिखाई पड़ता है
हीरे की पहचान कोयला करता है
झूट प्रपंच और राजनीती
सब सफलता के मार्ग बन चुके है
ईमानदारी परिश्रमी और सच्चा होना
नरक के रास्ते है
ये खेल खूब चल रहा है
बिक भी रहा है
कागज पर महल बनाने वाले दुनिया चला रहे है
और बंजर जमीन को उपजाऊ कर देने वाले
भूखे भी रहते है और आंसू भी बहाते है
एसी घरों में दफ्तरों में गाडिओं में जिन्दगी जीने वाले
तपती धूप में काम करने के नुस्खे बताते है
सिर्फ मजाक हो रहा है
और जब सब मजाक बन चुका है
तो ऐसे में किस बात का दुःख मानना
अपनों से क्या गिला निभाना
यकीनन सब शोर्ट कट से जिन्दगी जीने में लगे है
इसलिए विश्वास को, इमानदारी को, सच्चाई को
इतने झटके मिलते है
यूँ भी हार और जीत तो मन का विषय है
परिवर्तन संसार का नियम है
डर से जीना मृत्यु के सामान है
और मन की शांति सबसे बड़ी उपलब्धि है
बस येही बनी रहे
इतना ही मिलता रहे
दुनिया की जीत तो
आनी और जानी है
और जिनके हौंसलों में तुफानो की शक्ति होती है
उन्हें रोकने की ताकत
झूट प्रपंच और राजनीती से चलने वाली दुनिया में
बहुत देर तक कामयाब नहीं हो सकती है
और कुछ भी हो प्रेम के आगे
हर नफरत हारी है
येही शक्ति है
येही जीवन की भक्ति है
बस बनी रहे ये, दुआ उस रब से मेरी है ....................... रवि कवि

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