हदें ..............

देखना है तो देखिये
बेशर्मी के हदें
नामे मोहबत हुई खामख्वा
शरीरे बैचैनी
बढ़ रही है बे - परवाह

( प्रयोजन :- सार्वजानिक स्थल पर अश्लील हरकत करने वालो के नाम)
रवि कवि

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