हम मजदूरो पर तरस खाइए ...............

भूखा हूँ रोटी खा लेने दीजिये
सिर्फ इतनी सी जरुरत है मेरी
इसको समझ लीजिये
फिर मुझसे बेशक विकास की बात कर लेना
सपनो की दुनिया दिखा देना
मेरा योगदान जरुरी है देश के लिए
ये पाठ भी पढ़ा देना
फिर भले ही मेरा सर्वस्व समर्पण मांग लेना
मगर अभी में हाथ जोड़ता हूँ आपके
मुझे बख्श दीजिये
कुछ भी नहीं है पहले ही मेरे पास
कम से कम मेरी जमीन से
अपनी गिद्ध नज़र हटा लीजिए
जैसी भी है जितनी भी है पर ये जमीन मेरी माँ है
जो मेरे और मेरे बच्चों का जैसे भी सही पेट पालती है
माना कम मिलता है
मगर फिर भी सुकून है
क़र्ज़ में डूबा हूँ - मगर फिर भी मालिक हूँ
मत बनाओ मुझे श्रमिक या गुलाम
किसी फेक्टरी या कंपनी का
छोड़ दीजिये मुझे, और चले जाइये
ओ गरीबो को धोखे से लूटकर अमीर बन ने वालों
महल खड़े करके गरीब की झुग्गी को भी न बख्शने वालों
हम मजदूरो पर भगवन के लिए तरस खाइए
अपने सपनो के लिए मेरे सपने मत उजाडीए
मेरी भूमि मेरा सब कुछ है
मेरी जिन्दगी पर तरस खाइए ......... रवि कवि

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