कौन देता है .........

कौन देता है जिन्दों को दवा
कौन करता है जीते जी की दुआ
कोई रहता नहीं साथ सदा
जीत के भी होते है इम्तिहान सदा
हर कोई दौड़ता भागता है यहाँ
दो पल ठहरने का सुकून भी भला कहाँ
एक दुसरे को गिरा - उठा
बस येही खेल है चलता हुआ
उम्र बीत जाती है
सिर्फ कशमकश लिए
और जिन्दगी ख़त्म भी हो जाती है एक दिन
सपनो को यूँही छोड़कर संजोया हुआ....................... रवि कवि

Comments

Popular posts from this blog

ये नेता तो देश का चीरहरण पल पल कर रहा है

वैचारिक महामारी का आपातकाल

जिन्दगी ने बहुत कुछ दिया