इतनी ऊँची उड़ान

किस चीज़ का गुरुर है तुझको
क्या ऐसा है तेरे पास
जिसके आगे तुने
किसी को कभी कुछ न समझा
तू ज्ञानी है, बड़ा पैसे वाला है
बहुत बड़ा कारोबारी है
या कोई बड़ा अफसर या नेता , अभिनेता है
तेरे सामने - बड़े नौकर चाकर,
कर्मचारिओं की लम्बी कतार है
गाडियाँ है, बंगले है, मोटा बैंक बैलेंस है
हीरे जवाहरात है
पॉवर भी है और शोहरत भी
वोह सा कुछ है तेरे पास
जिसके आने के बाद
अक्सर आदमी खुद पर काबू कम ही रख पाता है
बहुत विरला ही कोई
इंसान, इंसान रह पाता है
वर्ना बदल जाता है
इंसान भी और नजरिया भी
खुदके आगे
खुद के अंहकार के आगे
सब दिखना बंद हो जाता है
वो सिर्फ वो रह जाता है
जिसको वो यानि परमात्मा
कभी नहीं मिल पाता है
इसलिए नहीं की उसने ये सब पा लिया है
बल्कि इसलिए की
सब कुछ पाकर वो इतना खोकला हो जाता है
जिसमे इंसानियत और समानता
सब बेमानी हो जाती है
घमंड और बेईमानी
लालच और दूसरो के हक तक
लीलने में उसको कोई परेशानी नहीं होती है
इसलिए सब कुछ होते हुए भी
ऐसा शख्स उस परिंदे जैसा होता है
जिसके पर उसे इतनी ऊँची उड़ान
पर ले जाते है
जहाँ से नीचे हर चीज़ बहुत छोटी नज़र आती है
पर ऐसा नहीं की हर परिंदा
जो ऊंचाई पर जाता हो
ऐसा ही बन जाता होगा
दरअसल बेजुबान परिंदा, जो सारा दिन उड़ता है
शाम ढलते ही जमीन पर वापस लौट कर जरुर आता है
पर सिर्फ एक
इंसान ही ऐसा परिंदा है
जो एक बार उड़ना शुरू हो जाये
तो लौट कर फिर जमीन पर कभी नहीं आता है .............. रवि कवि

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