इतना ही है पता

जिन्दगी में तुझे समझाता रहा
जलता रहा, सुलग सुलग
जीता रहा सदा
कितनी है तुझ में बाजीगरी
देखता रहा
जीने की कोशिश
जी जी के करता रहा
ना कभी पाया तुझे
ना कभी जाना
बस आरजू लिए जीने की
जिन्दगी जिया
बड़ी ही खामोश है
तेरी हर अदा
जीते है जिन्दगी सब
तेरे नाम के सिवा
कुछ और नहीं पता
ढूढ़ता हर कोई
पर पता कभी नहीं
ऐ जिन्दगी तुझे क्या
हम कहे अभी
जीना है बस तेरे सहारे सदा
इतना ही है पता.......... रवि कवि

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