चलते रहो बस चलते रहो.......

कभी जिन्दगी
कुछ उलझनों और कुछ शरारतों
के बीच चलता हुआ कोई तूफान है
कभी जिन्दगी
धडकनों और लम्हों
के बीच दौड़ती फिरती मुस्कान है
कभी जिन्दगी
तेरी या कभी मेरी
रोज़ रोज़ बदलने वाली
पहचान है
और येही पहचान
जिन्दगी की कहानी है
जी ले इसे जैसी भी है
जिन्दगी बस चलते रहने का नाम है
चलते रहो बस चलते रहो.............................रवि कवि

Comments

Popular posts from this blog

ये नेता तो देश का चीरहरण पल पल कर रहा है

वैचारिक महामारी का आपातकाल

जिन्दगी ने बहुत कुछ दिया