आओ चले फिर गाँव की ओर.................

आओ चले फिर गाँव की ओर
और जाने गाँव के लोगो के दर्द
लगाये मरहम उनके घाव पर
जो लगे है अंधाधुंध शेहरीकरण के नाम से
उपजाऊ भूमि जो लूटी जा रही है
चंद हरे नोटों के दाम पर
और बनाये जा रहे है
महल - मॉल अमीरों की शान पर ............ रवि कवि

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