सरपरस्ती देने वाले ही यहाँ लूट लेते है....................

सुना था कि
अहंकार में डूबे
मानव का
शीघ्रपतन हो जाता है
सत्तासीन नशे में डूबे
नेताओ को
भी भला कोई
ये मर्म
समझा पाया है
जीतकर वादों के नाम पर
फिर सब भूल जाना
जिनकी आदत बन जाता है
जिन्हें फिर
करप्सन नहीं
बेरोजगारी नहीं
भूख नहीं
अपराध नहीं
सिर्फ
सत्ता का मद
रह जाता है
अरे भाई ये लोकतंत्र है
सरपरस्ती देने वाले ही यहाँ लूट लेते है
सबको आज़ादी है
ऐसा है
इसका मतलब अक्सर सुनते है
फिर काहे को ये जनता
इतनी शिकायत रखती है
खामोश रहिये
और आप भी बन जाये नेता
रात दिन बस येही प्रार्थना करिए ..................रवि कवि

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