गरीबी ख़तम नहीं होती नारों से...................

गरीबी ख़तम नहीं होती नारों से
मंहगाई नहीं रूकती कभी दावों से
आतंक नहीं मिटता सिर्फ दिखावे से
भय नहीं जाता कमजोर इरादों से
भूख नहीं शांत होती जी डी पी के बढ़ने से
और किसान नहीं मरने कम होते
सिर्फ क़र्ज़ माफ़ करने से
कदापि भारत निर्माण नहीं हो सकता
टी वी रेडिओं में विज्ञापन से
जख्म नहीं भर जाते
सिर्फ आम आदमी के नाम पर वादों से
मंत्री बदलने से व्यवस्था भला कहा बदलती है
अरे जिस मुल्क का राजा भीष्म कि तरह
भारत के चीत्कार को देखता रहे
और कहे मेरी मजबूरी है
उस देश कि प्रजा को कोई भी आस रहे ...
तो समझना ये खुद को खुद की
झूटी तसल्ली है ..................... रवि कवि

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