समझोगी कब तुम मेरे प्रेम कि भाषा...

दिल यह मेरा तुमसे है कह रहा
समझोगी कब तुम मेरे प्रेम कि भाषा
पल पल हर दिन
रात हो या दिन
बस तुम ही हो मेरे नैनो की आशा
देख देख जिसे
चोरी चोरी - छिप छिप तकता मैं
तेरी चांदनी रूपी काया
कहता नहीं में कुछ भी जुबां से
पर तुम ही हो मेरा साया
ख़ामोशी से आगे कब
अब जाएगी मेरी यह अभिलाषा
तुम से शुरू और तुम तक जाती
है मेरे साँसों की माला
दिल यह मेरा तुमसे है कह रहा
समझोगी कब तुम मेरे प्रेम कि भाषा.................. रवि कवि

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