मोहब्बत नज़र आती है ......

वो क्या समझे दिल की लगी
जिसे न हुई हो मोहब्ब्बत कभी
ये ऐसी आग है जिगर की
जो जितनी जले
उतना ही असर दिखाती है
जिन्दगी क्या है सचमुच
यह बात समझ आती है
बेकरारी इस तरह छाती है
दिन न रात कोई फिर
सिर्फ सिर्फ सिर्फ और सिर्फ
मोहब्बत नज़र आती है
जिन्दगी फिर इस तरह मुस्कुराती है
गुनगुनाती है
मानो................
जैसे रिमझिम बहार में मोरनी नाचती है
ऐ मोहब्बत .................
तू किस कदर खूबसूरत है
ये मोहबत हो जाये तो
बात समझ आती है ........................... रवि कवि

Comments

Anamikaghatak said…
सुन्दर प्रस्तुति……॥
Shah Nawaz said…
बेहतरीन रचना!

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