नव वर्ष २०१० में प्रवेश करे

बीता बरस गया
बहुत कुछ बीत गया
लम्हे सुनहरे
लम्हे खीज भरे
लम्हे तन्हाई के
लम्हे दर्द रुसवाई के
लम्हे प्रेम के
लम्हे उम्मीद के
लम्हे नाकामी के
या लम्हे रहे हो
किसी अपने की दी गयी चोट के
हर ख्याल का, हर माहौल का
इक इक लम्हा
सबका बाँध पुलिंदा
ले चला गया
ये एक और साल
हम सबकी जिन्दगी का
और लाकर खड़ा कर दिया
इक और नए बरस के द्वार पर
जहाँ भविष्य के सपने
बिखरे है हम सबके
बस जोश और साहस से
इस द्वार में प्रवेश करने की जरुरत है
अतीत से सबक लेते हुए
भविष्य की रौशनी से
जीवन को उज्जवल करना है
हर रंग जीवन का गहना होता है
बस थोडा सा सब्र
और निश्चयी तप करना है
जिन्दगी अपनी मंजिल की ओर
नित दिन बढती जाये
ऐसा हर कर्म रोज़ करना है
परिवार, समाज ओर देश
सब हमारे सपनो को साकार होते हुए
देखना चाह रहे है
कोई कमी न रह जाये
इसलिए जज्वा कम नहीं पड़ना चाहिए
विजय गीत लिखे हम ऐसा
जो पीढियों दर पीढियों
आपकी पहचान को रखे जिन्दा
आओ हाथ से हाथ अपना जोड़े
और इसी संकल्प के साथ
अपनी एकता का शंखनाद गुंजाते हुए
हम सब एक डोर में पिरोई माला बनकर
नव वर्ष २०१० में प्रवेश करे
हे मेरे मालिक
हमारे आग्रह आप स्वीकार करे...............

नव वर्ष की संपूर्ण मनोकामनायो के साथ ............... रवि कवि

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