बहुत हो गया सहन

हो जाओ सब एक सब अब वक़्त है पुकारता
लुट गया जो चमन फिर जागने से होगा क्या
आ गया है वक़्त अब मिलकर ललकारने का
बहुत हो गया सहन अब जुल्म इस सरकार का............... रवि कवि

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