क्यों जन्मा ?
क्यों जन्मा ?
बेहतर होता.... रहता अगर अजन्मा ...
क्या मिला लेकर जन्म
कुछ भी तो ऐसा नहीं
जो हो मन से सहन
हर चीज़ एक सौदा है
बात बात पर धोखा है
कुछ करने की कोशिश
अंत में टूटा सपना है
सच की राह हमेशा
बिना मंजिल की यात्रा है
एक दूसरे की जेब पर
सबकी पैनी नजर है
चूना लगाने को
हर कोई आतुर है
रिश्तों का मतलब
मजबूरी है
जुआ, जुगाड़ और जूतमपैजार
यही जिंदगी है
यही जिंदगी है
यही जिंदगी है ................ रवि कवि
बेहतर होता.... रहता अगर अजन्मा ...
क्या मिला लेकर जन्म
कुछ भी तो ऐसा नहीं
जो हो मन से सहन
हर चीज़ एक सौदा है
बात बात पर धोखा है
कुछ करने की कोशिश
अंत में टूटा सपना है
सच की राह हमेशा
बिना मंजिल की यात्रा है
एक दूसरे की जेब पर
सबकी पैनी नजर है
चूना लगाने को
हर कोई आतुर है
रिश्तों का मतलब
मजबूरी है
जुआ, जुगाड़ और जूतमपैजार
यही जिंदगी है
यही जिंदगी है
यही जिंदगी है ................ रवि कवि
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