ये विवशता - का रिश्ता कतई न हो .


अरे ! जो लूट ले दौलत 
तो कोई ग़म न करो 
गर लूट ले कोई विश्वाश तो 
हरगिज़ न फिर पीछे मुड़ो 
यूँ भी 
जो दोस्ती को मौका बना ले 
ये विवशता - का रिश्ता कतई  न हो ................रवि कवि 

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