दो साल का रिचार्ज (बहुमत) बाकि है
कभी
मजहब के नाम पर वोट की कमाई
कभी
मजहब की करके दुहाई
बंटवारे की करना बुबाई
क्या इन सबको ही करना
सरकार समझती है
देश की भलाई
तो लानत है
धिक्कार है
शहीदों के खून का तिरस्कार है
मगर अभी दो साल का रिचार्ज (बहुमत) बाकि है मेरे दोस्त
इसलिए इनको कुछ भी कहना सुनना बेकार है ................ रवि कवि
मजहब के नाम पर वोट की कमाई
कभी
मजहब की करके दुहाई
बंटवारे की करना बुबाई
क्या इन सबको ही करना
सरकार समझती है
देश की भलाई
तो लानत है
धिक्कार है
शहीदों के खून का तिरस्कार है
मगर अभी दो साल का रिचार्ज (बहुमत) बाकि है मेरे दोस्त
इसलिए इनको कुछ भी कहना सुनना बेकार है ................ रवि कवि
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