आज वक़्त कितना बदल गया है अब...........
धमाके जो पहले रोंगटे खड़े देते थे
दहशत से सारा माहौल भर देते थे
क्या व्यबस्था क्या जनता
सब के सब एक साथ खड़े होकर
उस नाजुक वक़्त को संभाल लेते थे
दर्द में हमदर्द हुआ करते थे
पर आज वक़्त कितना बदल गया है अब
अब व्यबस्था धमाको के साथ
जीने की आदत डाल लेने का मंत्र सिखा रही है
और जनता भी हर धमको के बाद
केंडल मार्च लेके निकल पड़ती है
सबकी जिम्मेवारी पूरी हो गयी
और धमाके की कहानी खतम
जिन्दगी जैसी थी फिर शुरू हो गयी............. रवि कवि
दहशत से सारा माहौल भर देते थे
क्या व्यबस्था क्या जनता
सब के सब एक साथ खड़े होकर
उस नाजुक वक़्त को संभाल लेते थे
दर्द में हमदर्द हुआ करते थे
पर आज वक़्त कितना बदल गया है अब
अब व्यबस्था धमाको के साथ
जीने की आदत डाल लेने का मंत्र सिखा रही है
और जनता भी हर धमको के बाद
केंडल मार्च लेके निकल पड़ती है
सबकी जिम्मेवारी पूरी हो गयी
और धमाके की कहानी खतम
जिन्दगी जैसी थी फिर शुरू हो गयी............. रवि कवि
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